Skip to main content

Posts

Manifesto of the Hindustan Socialist Republican Association (HSRA)

Issued on the occasion of Revolutionary Day, 8th September 1928 Preamble   In the memory of those who sacrificed their lives for the freedom and dignity of the Indian people, we, the Hindustan Socialist Republican Association (HSRA), on this day of 8th September 1928, recommit ourselves to the cause of revolution against imperialist domination and oppression. We solemnly resolve to wage a relentless struggle to achieve complete independence, not only from foreign rule but also from exploitation, inequality, and the degradation of human dignity. Today, we celebrate Revolutionary Day , marking the historic re-founding of the Hindustan Republican Army as the Hindustan Socialist Republican Association, and on the 9th of September, we honor our valiant **Freedom Fighters**, whose vision and sacrifices paved the way for our revolution. 1. The Struggle for Complete Independence We declare that India's freedom cannot be partial or negotiated with the imperial powers. Independence is n...

HSRA Hindustan Socialist Republican Association Full Information in short Article.

 

कलम से क्रांती ~1

वंदे मातरम्,   इंकलाब जिंदाबाद जब हम यह नारा लगाते हैं तो क्या याद आता है, हमे याद आता है चंद्रशेखर आज़ाद जी, भगत सिंह जी, राम प्रसाद बिस्मिल जी ,अशफाक उल्ला खान जी और उनकी कुर्बानी बहादुरी और बुद्धिमानी। HSRA का नाम सुनते ही जो हमें सबसे पहले याद आता है वो है क्रान्तिकारियों कि देशभक्ति और बहादुरी कि ज्वाला। HSRA सिर्फ एक संघ नही एक शिक्षा का बिंदु है, हमारे लिए। HSRA का हर क्रान्तिकारी हमें कुछ ना कुछ सीखता है। HSRA कि कुर्बानी हमारे अंदर देश भक्ति का ज्वाला जागता है, और जब हम इंकलाब ज़िंदाबाद बोलते हैं तो हमें लगता है कि हम एक सैनिक हैं। HSRA हमें बलिदानी और पराक्रम और भी बहुत सारी बाते सीखता है। "वो ना रुके जो सपने इंकलाब के देखे थे, उनके मूँछ के ताओ के आगे घुटनें अंग्रेजो ने टेके थे।। Sol. मुख्तार अली क्रान्तिकारी सैनिक "HSRA" हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ 

तराना-ए-बिस्मिल

तराना-ए-बिस्मिल बला से हमको लटकाए अगर सरकार फांसी से लटकते आए अक्सर पैकरे-ईसार फांसी से। लबे-दम भी न खोली ज़ालिमों ने हथकड़ी मेरी, तमन्ना थी कि करता मैं लिपटकर प्यार फांसी से। खुली है मुझको लेने के लिए आग़ोशे आज़ादी, ख़ुशी है, हो गया महबूब का दीदार फांसी से। कभी ओ बेख़बर तहरीके़-आज़ादी भी रुकती है? बढ़ा करती है उसकी तेज़ी-ए-रफ़्तार फांसी से। यहां तक सरफ़रोशाने-वतन बढ़ जाएंगे क़ातिल, कि लटकाने पड़ेंगे नित मुझे दो-चार फांसी से

हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ

 हिन्दुस्तान सामाजवादी प्रजातांत्रिक सेना/संघ कि स्थापना सन् 1924 में हिंदुस्तान प्रजातांत्रिक सेना नाम से वीर बलिदानी आदरणीय राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, सचिंद्र नाथ सन्याल,चंद्रशेखर आज़ाद सचिंद्र नाथ बक्शी और योगेश चन्द्र चटर्जी जी के द्वारा किया गया था जिसका सितंबर 1927 में वीर भगत सिंह जी ने नौजवान भारत सभा को HRA में विलय कर पूर्णगठन करते हुए नाम बदल कर HSRA अर्थात हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ/सेना कर दिए थे। HSRA क्या है? HSRA कोई संघ या समूह नहीं है,HSRA विचारों को प्रकट करने वाला और विचारों को मजबूत बनाने वाला एक मंच हैं , जहां सभी व्यक्तियों को अपना विचार और सुझाव रखने का पुरा अधिकार है।   HSRA एक एसी विचार धारा का मंच हैं जो साम्राज्यवाद को खंडित करता है HSRA के नाम में ही इसकी लक्ष्य छुपी हुई है (हिंदुस्तान समाजवाद प्रजातांत्रिक संघ या सेना) HSRA आज भी देश को पूर्ण स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष कर रहा है। इतिहास "वैसे तो ज्यादा बेहतर सोध नहीं कर सका HSRA के इतिहास को लेकर किंतु वेकिपीडिया से मुझे ये रोचक इतिहास जानने का सैभाग्य मिला मैं इस इतिहास को ...


Design by SSpD Sunny Raj